दो बिल्लियां और बन्दर की कहानी
दो बिल्लियां और बन्दर की कहानी | Two Cats and Monkey Story in Hindi |
एक पेड पर दो बिल्लियाँ रहती थी। दोनो मे बड़ी गहरी दोस्ती थी। उसी पेड पर एक बंदर भी रहता था। एक दिन बिल्लियां पास ही के गांव के घर से एक रोटी उठा लायीं । दोनो बिल्लियां उस एक रोटी को आपस में बांटकर खाना चाहती थी। इसलिए उन्होंने रोटी के दो टुकड़े कर दिया। किंतु वे दोनो एक-दूसरे के टुकड़े को बड़ा बताकर झगड़ने लगी। बंदर, बिल्लियों का तमाशा दूर बैठे देख रहा था। वह उनके पास आकर बोला, “लड़ो मत, मेरे पास एक तराजू है। मैं उस तराजू से तौल कर तुम दोनों को बराबर-बराबर रोटी दे दूँगा।,” थोड़ी देर बिल्लियों ने इस बात पर विचार किया और फिर दोनों बिल्लियाँ बंदर की बात से सहमत हो गयी। बंदर झट से तराजू ले आया। दोनो बिल्लियों ने अपने-अपने टुकड़े बंदर को दे दिए। बंदर ने दोनो टुकड़ों को तराजू के पलड़ों मे रखा और तौलना शुरू कर दिया। बंदर ने दोनों पलड़ों को ध्यान से देखा तो पाया कि एक पलड़े पर वजन ज्यादा था और दूसरे पर कम। बंदर ने बड़ी ही होशियारी से जिस तरफ वजन अधिक था उस ओर रखे टुकड़े से एक टुकड़ा तोड़ा और खा लिया। ऐसा करने पर दूसरी ओर वजन अधिक हो गया। बंदर ने दूसरी ओर से भी एक टुकड़ा तोड़ा और खा लिया। इससे टुकड़े और छोटे हो गये। बंदर बार-बार यही करता रहा। अब बिल्लियाँ समझ गई कि इस तरह तो बंदर धीरें-धीरें हमारी सारी रोटी खा जाएगा, इसलिए बिल्लियों ने बंदर से कहा कि हमारी रोटी हमे वापस दे दो। हम स्वयं ही बंटवारा कर लेंगे। तब बंदर बोला, "मैंने तुम्हारे लिए अपना कीमती समय बर्बाद किया है। तुम्हें इसकी कीमत तो चुकानी ही होगी।" यह कहकर बंदर सारी रोटी खा गया। बेचारी बिल्लियाँ देखती रह गयी। अब दोनों ही बिल्लियों को यह बात अच्छे से समझ आ चुकी थी कि आपसी झगड़े खुद ही सुलझा लेने चाहिए नहीं तो कोई तीसरा फायेदा उठा सकता है।
कहानी की सीख (Moral Of The Story)
वास्तव में हमें आपसी झगड़े शांति से खुद ही सुलझा लेने चाहिए। यदि आप किसी तीसरे को शामिल करते हो तो हो सकता है वह तीसरा व्यक्ति पहले से ही मौके की तलाश में हो और आपकी आपसी लड़ाई का फायदा उठा ले जाएं। इसलिए जब आप आपसी विवाद में फंसे हो तो तीसरे व्यक्ति से मदद की उम्मीद न करें।
Two Cats and Monkey Story in Hindi