घमंडी हाथी और चींटी | Arrogant Elephant And The Ant Story In Hindi | Moral Story

घमंडी हाथी और चींटी

घमंडी हाथी और चींटी | Arrogant Elephant And The Ant Story In Hindi | Moral Story
घमंडी हाथी और चींटी | Arrogant Elephant And The Ant Story In Hindi | Moral Story

एक जंगल में एक हाथी रहता था। उसे अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था। वह अपने सामने दूसरे जानवरों को कुछ नहीं समझता था। अपने मज़े के लिए वह उन्हें हर समय तंग करता था।

वह कभी किसी पक्षी के पेड़ पर बनाये घोंसले को उजाड़ देता, तो कभी पूरा का पूरा ही पेड़ की उखाड़ देता।कभी बंदरों को उठा कर पटक देता, तो कभी खरगोशों को अपने पैरों तले रौंद देता। सभी जानवर उससे परेशान थे। लेकिन उसकी ताकत के सामने कुछ कर नहीं पाते थे।

एक दिन हाथी नदी से पानी पीकर लौट रहा था। वहीं नदी किनारे एक पेड़ के नीचे चींटियों का बिल था। आस-पास ही चींटियाँ अपने काम में जुटी हुई थीं। बरसात के पहले वे अपने बिल में भोजन इकठ्ठा करने मेहनत कर रही थीं।

हाथी को मस्ती सूझी और उसने अपनी सूंड में भरा पानी चींटियों के बिल पर डाल दिया। चींटियों का बिल उजड़ गया। अपना घर उजड़ जाने के बाद भी डर के कारण चींटियाँ हाथी से कुछ कह नहीं पा रही थीं।

लेकिन एक चींटी को बहुत गुस्सा आया। वह बिना डरे तेज आवाज़ में हाथी से बोली, “ये क्या कर दिया तुमने? हमारा घर उजाड़ दिया. अब हम कहाँ करेंगे?”

चींटी की बात सुन हाथी बोला, “चुप कर चींटी, नहीं तो अभी तुझे अपने पैरों के नीचे दबाकर कुचल दूंगा।”

“तुम्हें इस तरह दूसरों को तंग नहीं करना चाहिए। जब तुम्हें कोई तंग करेगा, तब तुम्हें समझ आएगा।” चींटी ने फिर से बिना डरे कहा।

“कौन मुझे तंग करेगा. तू….पिद्दी सी तो है…तू मेरा क्या बिगाड़ लेगी। तू मुझे जानती नहीं है क्या? मैं इस जंगल का सबसे ताकतवर जानवर हूँ। किसी की हिम्मत नहीं कि मुझे कुछ कह सके। तूने पहली बार ये गलती की है। इसलिए माफ़ कर रहा हूँ। आइंदा ध्यान रखना। नहीं तो मारी जाओगी।” हाथी धमकाते हुए बोला।

चींटी उस समय तो चुप हो गई। लेकिन मन ही मन सोचने लगी कि इस घमंडी हाथी को सबक सिखाना ज़रूरी है। वरना, ये यूं ही सबको यूं ही तंग करता रहेगा।

ये मौका उसे उसी दिन शाम को मिल गया। उसने देखा एक पेड़ के नीचे हाथी बड़े आराम से सो रहा है। चींटी उसकी सूंड में घुस गई और काटने लगी।

आराम से सो रहे हाथी की दर्द से छटपटा उठा। उसकी नींद खुल गई। छटपटाते हुए अपनी सूंड इधर-उधर हिलाने लगा। यह देख चींटी और जोर से उसे काटने लगी। हाथी से दर्द सहा नहीं जा रहा था। वह जोर-जोर से रोने लगा और मदद की पुकार लगाने लगा।

लेकिन उसकी मदद को कौन आता? उसने तो जंगल में सबको परेशान कर रखा था। चींटी उसे काटती रही और वह दर्द से चीखता रहा। अंत में निढाल होकर वह जमीन पर गिर पड़ा और रो-रोकर कहने लगा, “क्यों मुझे परेशान कर रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?”

यह सुनना था कि चींटी बोली, “मैं वही चींटी हूँ, जिसका और जिसके साथियों का घर तुमने उजाड़ दिया था। अब तुम्हें समझ आया कि जब तुम दूसरों को तंग करते हो, तो उन्हें कैसा लगता है?”

“मुझे सबक मिल गया है। मैं तुमसे माफ़ी मांगता हूँ और वचन देता हूँ कि फिर कभी किसी को तंग नहीं करूंगा। सबसे मिल-जुलकर प्रेम से रहूंगा। कृपा कर मुझे काटना बंद करो और मेरी सूंड से बाहर आ जाओ।” हाथी रोते हुए बोला।

चींटी को हाथी पर दया आ गई। उसे लगा कि अब हाथी का घमंड भी टूट गया है और उसे  एक अच्छा सबक भी मिल गया है। इसलिए उसे माफ़ कर सुधरने का एक मौका देना चाहिए।

चींटी हाथी की सूंड से बाहर आ गई। हाथी की जान में जान आई। उस दिन के बाद से हाथी सुधर गया। उसने जंगल के सभी जानवरों से अपने किये की माफ़ी मांगी और वादा किया कि वह अब उन्हें कभी तंग नहीं करेगा।

जानवरों ने उसे माफ़ कर दिया और उससे दोस्ती कर ली। हाथी भी सबका दोस्त बनकर बहुत ख़ुश हुआ। सब जंगल में मिल-जुलकर रहने लगे।

कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

कभी घमंड नहीं करना चाहिए। घमंडी का घमंड कभी न कभी ज़रूर टूटता है।
दूसरों की सदा सहायता करनी चाहिए। तभी मुसीबत के समय वे आपकी सहायता करेंगे।
कभी दूसरों को परेशान नहीं करना चाहिए और सबके साथ मिल-जुलकर रहना चाहिए।

Arrogant Elephant And The Ant Story In Hindi

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