बाइबिल : पृथ्वी की उत्पत्ति | The Creation Of The Earth : Bible Story In Hindi | Moral Story

बाइबिल : पृथ्वी की उत्पत्ति की कहानी

बाइबिल : पृथ्वी की उत्पत्ति | The Creation Of The Earth : Bible Story In Hindi | Moral Story
बाइबिल : पृथ्वी की उत्पत्ति | The Creation Of The Earth : Bible Story In Hindi | Moral Story

ये कहानी बाइबिल में वर्णित सृष्टि की उत्पत्ति की कहानी है। इसमें 7 दिनों में परमेश्वर द्वारा की गई सृष्टि के सृजन (The 7 Days Of Creation) को बताया गया है। जिसमें 6 दिन परमेश्वर ने सृष्टि के प्रत्येक वस्तु का निर्माण किया और सांतवे दिन विश्राम किया। प्रत्येक दिन की कहानी यहाँ वर्णित की गई है।

सर्वप्रथम ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना की। उस समय पृथ्वी सुनसान और अंधकारमय थी। ईश्वर की आत्मा अथाह सागर में विचरण किया करती थी।

पहला दिन : दिन और रात की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "प्रकाश हो जाये" और प्रकाश हो गया। ईश्वर को प्रकाश अच्छा लगा। उसने प्रकाश और अंधकार को पृथक कर दिया। प्रकाश का नाम उसने 'दिन' रखा और अंधकार का नाम 'रात'। 

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये पहला दिन था।

दूसरा दिन : आकाश की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "पानी के बीच एक छत बन जाए, जो पानी को पानी से पृथक कर दे।" और ऐसा ही हुआ। एक छत बन गई, जिससे नीचे का पानी और ऊपर का पानी पृथक हो गया। छत का नाम ईश्वर ने 'आकाश' रखा। यह ईश्वर को अच्छा लगा। 

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये दूसरा दिन था।

तीसरा दिन : पृथ्वी, समुद्र और हरियाली की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "आकाश के नीचे का पानी एक स्थान पर इकठ्ठा हो जाये और थल दिखाई देने लगे।" ऐसा ही हुआ। थल का नाम ईश्वर ने 'पृथ्वी' रखा और जल-समूह का नाम 'समुद्र'। यह ईश्वर को अच्छा लगा।

ईश्वर ने कहा, "पृथ्वी पर हरियाली लहलहा उठे। बीजदार पौधों और फलदार पेड़ उग आयें, जो बीजदार फल उत्पन्न करें।" ऐसा ही हुआ। पृथ्वी विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों से हरी-भरी हो गई। बीजदार पौधों और फलदार पेड़ उगने लगे। ईश्वर को यह अच्छा लगा। 

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये तीसरा दिन था।

चौथा दिन : नक्षत्रों की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "आकाश में नक्षत्र हों, जिससे दिन और रात अलग हो जायें। उनके द्वारा दिन और महीनों की गणना हो, पर्व निर्धारित किये जाएँ। वे आकाश में जगमगा कर पृथ्वी को प्रकाशित करें।"

ऐसा ही हुआ। ईश्वर द्वारा दो प्रधान नक्षत्र बनाये गए - दिन के लिए एक बड़ा और रात के लिए एक छोटा। इसके साथ उन्होंने तारे भी बनाये। ये सभी नक्षत्र आकाश में रखे गए, ताकि पृथ्वी को प्रकाश दे सकें। साथ ही प्रकाश और अंधकार को पृथक कर सकें। दिन और रात इनके द्वारा नियंत्रित हो सकें। यह ईश्वर को अच्छा लगा।

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये चौथा दिन था।

पांचवां दिन : जलीय जीव-जंतुओं और पक्षियों की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "पानी जीव-जंतुओं से भर जाए। आकाश में पक्षी उड़ान भरने लगें।" ईश्वर ने मगर और विभिन्न प्रकार के जलीय जीव-जंतुओं की रचना की। उन्होंने विभिन्न प्रकार के पक्षियों का सृजन किया।

यह उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने सभी जलीय जीव-जंतुओं और पक्षियों को आशीर्वाद दिया, "फलो-फूलो! समुद्र के पानी में भर जाओ। पृथ्वी पर पक्षियों की संख्या बढ़ती जाए।"

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये पांचवां दिन था।

छटवां दिन : थलीय जीव-जंतु और नर-नारी की उत्पत्ति

ईश्वर ने कहा, "पृथ्वी विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं जैसे - जंगली, पालतू, ज़मीन में रेंगने वाले जीव-जंतुओं से भर जाए।"

और ऐसा ही हुआ। पृथ्वी जंगली, पालतू, ज़मीन में रेंगने वाले और विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं से भर गई। यह ईश्वर को अच्छा लगा।

उसके बाद ईश्वर ने कहा, "मनुष्य मेरा प्रतिरूप हो। वह जलीय जीव-जंतुओं, आकाश में उड़ने वाले पक्षियों और जमीन पर रेंगने वाले, जंगली तथा पालतू जीव-जंतुओं पर शासन करे।"

ईश्वर ने नर-नारी की रचना की और उन्हें आशीर्वाद दिया, "फलो-फूलो! सारी पृथ्वी पर फ़ैल जाओ और उसे अपने अधीन कर लो। समुद्री जल और थल के जीव-जंतुओं, आकाश के पक्षियों पर शासन करो। मैं पृथ्वी के समस्त बीजदार पेड़-पौधे तुम्हें देता हूँ। वे तुम्हारा भोजन होंगे। मैं सभी जंगली जानवरों को, आकाश में उड़ने वाले पक्षियों को, पृथ्वी पर विचरने वाले सभी जीव-जंतुओं को हरे-भरे पेड़-पौधे देता हूँ। ये उनका भोजन होंगे।"

और ऐसा ही हुआ। ईश्वर ने अपने द्वारा बनाई हुई समस्त रचना देखी और उन्हें यह अच्छा लगा।

संध्या हुई और फिर भोर हुआ। ये छटवां दिन था।

सातवां दिन : पवित्र दिन

छः दिनों में आकाश, पृथ्वी और उनमें जो भी है, उनकी रचना ईश्वर ने पूर्ण की। अपना समस्त कार्य पूर्ण कर सातवें दिन उन्होंने विश्राम किया। इस दिन को उन्होंने अपना आशीर्वाद दिया और उसे पवित्र माना क्योंकि इस दिन उन्होंने अपना कार्य पूर्ण कर विश्राम किया था।

यह आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति का वृतांत है।

The Story Of The Creation Of The Earth : Bible Story In Hindi 
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