समस्याओं को शुरूवाती दौर में ही सुलझा लें
एक राज्य में शासन करने वाला राजा दुनिया का सबसे शक्तिशाली शासक बनना चाहता था। एक दिन उसे दूर देश से आये एक भविष्यवक्ता के बारे में पता चला। वह उनसे मिलने पहुँचा और उन्हें अपनी इच्छा बताते हुए निवेदन किया, "महात्मा! मुझे कोई ऐसा उपाय बतायें, जिससे मैं पूरी दुनिया का सबसे शक्तिशाली राजा बन सकूं।"
भविष्यवक्ता ने सामने जाते हुए एक रास्ते की ओर इशारा किया और बोले, "राजन! सामने जो रास्ता देख रहे हो। इस पर चलते जाओ। 10 किलोमीटर की दूरी तय करने पर तुम्हें एक पेड़ दिखाई देगा। उस पेड़ पर चमत्कारी फल लगते हैं। तुम उस पेड़ से एक फल तोड़कर खा लेना। तुम्हारी शक्ति 100 गुना बढ़ जाएगी।"
राजा बिना समय व्यर्थ किये उस पेड़ की तलाश में निकलने के लिए तैयार हो गया। लेकिन उसके जाने के पहले भविष्यवक्ता ने उसे चेताया, "राजन! एक बात ध्यान में रखना। जब तुम इस रास्ते पर आगे बढ़ोगे, तो तुम्हारा सामना 1 फ़ीट ऊँचे एक राक्षस से होगा। तुम उसे मार देना, तभी आगे बढ़ना। अन्यथा वह तुम्हारा आगे बढ़ना और पेड़ से फल तोड़ना मुश्किल कर देगा।"
राजा ने हामी भरी और भविष्यवक्ता से आज्ञा लेकर उनके बताये रास्ते पर चलने लगा। 1 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अचानक एक राक्षस उसके सामने आया और उसका रास्ता रोक लिया। उसकी ऊँचाई 1 फीट थी। वह राजा को ललकारते हुए बोला, "तुझमें हिम्मत है, तो मुझे मारकर आगे बढ़।"
राजा ने देखा कि राक्षस कद-काठी में बहुत छोटा है। उसने सोचा कि इतने छोटे से राक्षस को मारने में अपना समय और ऊर्जा क्यों व्यर्थ करूं? वह उसे धकेल कर बिना मारे ही आगे बढ़ गया।
वह आगे 1 किलोमीटर ही चल पाया था कि वह राक्षस फिर से उसके सामने आ गया। इस बार उसकी ऊँचाई 1 फ़ीट बढ़ गई थी। राजा ने उसे फिर एक तरफ़ धकेला और आगे बढ़ गया।
आगे बढ़ते-बढ़ते हर 1 किलोमीटर पर वह राक्षस राजा के सामने लगा और हर बार उसकी ऊँचाई 1 फ़ीट बढ़ी हुई होती। राजा हर बार उसे मारे बिना आगे बढ़ता जाता। जब राजा भविष्यवक्ता द्वारा बताये पेड़ के पास पहुँचा, तो राक्षस फिर से सामने आ गया। इस बार वह 10 फ़ीट का विशालकाय राक्षस था।
जब उसने राजा को फल तोड़ने से रोक दिया, तब राजा को भविष्यवक्ता की चेतावनी याद आई कि राक्षस को मार देना, अन्यथा वह तुम्हें फल तोड़ने नहीं देगा। अब राजा के पास युद्ध के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था। दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। कई बार स्थिति ऐसी बनी मानो राक्षस राजा को मार देगा। लेकिन अंत में किसी तरह राजा राक्षस को मारने में सफ़ल रहा। फिर उस चमत्कारी पेड़ का फल तोड़कर खाकर उसने चैन की सांस ली।
कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)
लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में जब हम प्रयासरत रहते हैं, तो हमें कई बार छोटी-छोटी समस्याओं और चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। हम अक्सर उन्हें छोटा या तुच्छ जानकार नज़रंदाज़ कर देते हैं और उनका निराकरण नहीं करते। फिर धीरे-धीरे वही समस्यायें और चुनौतियाँ बड़ी होती चली जाती हैं। एक समय ऐसा आता है, जब उन्हें नज़रंदाज़ करना संभव नहीं हो पाता और वे हमारे लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग का रोड़ा बन जाती हैं। कई बार उस रोड़े को पार कर पाना हमारे बस के बाहर हो जाता है और कई बार उन्हें सुलझाने में हमारा बहुत समय और ऊर्जा बर्बाद हो जाती है। बाद में हम पछताते हैं कि हमने पहले उसका समाधान क्यों नहीं निकला। इसलिए बाद में पछताने से बेहतर है कि समस्यायें शुरूवात में उस वक़्त ही सुलझा ली जायें, जब वे छोटी हों।
Problem Solving Story In Hindi