राजा और एक बेवकूफ मित्र | Raja Aur Ek Bewakoof Mitra Story In Hindi | Moral Story

राजा और एक बेवकूफ मित्र

राजा और एक बेवकूफ मित्र | Raja Aur Ek Bewakoof Mitra Story In Hindi | Moral Story
राजा और एक बेवकूफ मित्र | Raja Aur Ek Bewakoof Mitra Story In Hindi | Moral Story

एक राजा था। उस राजा के पास एक पालतू बंदर था। राजा उस बंदर को बहुत प्यार करता था। राजा जब भी महल के बाहर बगीचे में सैर करने को जाता, तब बंदर भी उसके साथ जाता था। एक बार बगीचे में घूमते वक्त बंदर ने एक सांप को घास में छुपे हुए देखा। वह फुफकार कर बाहर निकल कर राजा को काटना चाह रहा था। अचानक बंदर ऊपर-नीचे कूदने लगा और राजा को समय रहते खतरे से सूचित कर दिया। राजा बंदर की सावधानी और वफादारी से बहुत खुश हुआ और उस बंदर को अपना निजी अंगरक्षक बना लिया।

राजा के दरबारी और मंत्री यह सब जानकर बहुत दुखी हुए। आप एक बंदर को अपना निजी अंगरक्षक कैसे बना सकते हैं?’ उन्होंने राजा से दुखी होकर पूछा। वह सिर्फ एक जानवर ही तो है। उसके पास मनुष्य जैसी बुद्धि और फैसला करने की क्षमता नहीं हो सकती।’ राजा को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। राजा ने कहा मेरा बंदर मुझे बहुत प्यार करता है। वह मेरा पूरा वफादार है। मेरे ख्याल से ये दोनों खूबियां एक निजी अंगरक्षक के लिए बहुत जरूरी हैं। मुझे और कोई दूसरा निजी अंगरक्षक नहीं चाहिए। इसके बाद जहां भी राजा बाहर जाता, बंदर उसके साथ जाता।

एक दिन राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था। उसने अपने निजी अंगरक्षक बंदर को बुलाया और कहा-‘आज मैं बहुत थक गया हूँ और देर तक सोना चाहता हूं। यदि मुझे कोई भी तंग करने आए तो उसे भगा देना।’ बंदर ने अपना सिर हिलाकर हां कर दी। वह राजा के सिरहाने बैठ गया और चारों ओर चौकन्ना होकर देखने लगा थोड़ी देर बाद एक मक्खी घूमती हुई आई और राजा के पलंग पर चारों ओर घूमने लगी। बंदर ने उसे फूंक मारकर तथा हाथ से झटका देकर भगा दिया।

थोड़ी देर बाद वह मक्खी फिर से घूमती हुई आई और सोते हुए राजा के बांह पर बैठ गई। बंदर को बहुत गुस्सा आया। उसने फिर मक्खी को फूंक मारकर भगा दिया। मक्खी फिर आई। इस बार बंदर ने तय कर लिया कि यह उसको सबक सिखाएगा। उसने राजा की तलवार हाथ में उठा ली। इस बार जब मक्खी राजा की गर्दन पर बैठी, तब उसने मक्खो के दो टुकड़े करने के लिए जोर से तलवार घुमा दी। मक्खी तो उड़ गई, पर आराम से सोते हुए राजा के दो टुकड़े हो गए। धड़ अलग और सिर अलग, उसके निजी अंगरक्षक ने ही उसे मार दिया।

बाद में जब राजा के लोग राजा के मरने का शोक मना रहे थे, तब उनमें से किसी एक ने कहा-‘राजा को पता नहीं था कि कभी-कभी एक बेवकूफ मित्र बुद्धिमान दुश्मन से ज्यादा नुकसान कर देता है।’

कहानी से शिक्षा (Moral OF The Story)

कभी-कभी एक बेवकूफ मित्र बुद्धिमान दुश्मन से ज्यादा नुकसान कर देता है।

Raja Aur Ek Bewakoof Mitra Story In Hindi

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