मक्खी का लालच | Makkhi Ka Lalach Story In Hindi | Moral Story

मक्खी का लालच

मक्खी का लालच | Makkhi Ka Lalach Story In Hindi | Moral Story
मक्खी का लालच | Makkhi Ka Lalach Story In Hindi | Moral Story

एक बार एक दुकानदार अपने ग्रहक को शहद बेच रहा था। तभी अचानक दुकानदार के हाथ से फिसलकर शहद का बर्तन जमीन पर गिर गया । बहुत सा शहद जमीन पर बिखर गया । जितना शहद ऊपर-ऊपर से उठाया जा सकता था उतना दुकानदार ने उठा लिया । लेकिन कुछ शहद फिर भी ज़मीन पर गिरा रह गया।

थोड़ी ही देर में बहुत सी मक्खियाँ उस ज़मीन पर गिरे हुए शहद पर आकर बैठ गयीं। मीठा-मीठा शहद उन्हें बहुत अच्छा लगा और वह जल्दी-जल्दी उसे चाटने लगी। जब तक उनका पेट भर नहीं गया वह शहद चाटती रहीं।

जब मक्खियों का पेट भर गया और उन्होंने उड़ना चाहा, तो वह उड़ ना सकीं। क्योंकि उनके पंख शहद में चिपक गए थे। उड़ने के लिए उन्होनें बहुत कोशिश की लेकिन वह फिर भी उड़ ना पाई। वह जितना छटपटाती उनके पंख उतने ही चिपकते जाते। उनके सारे शरीर में शहद लगता जाता।

बहुत सी मक्खियाँ शहद में ही लोट-पोट होकर मर गयीं, तो बहुत सी मक्खियाँ पंख चिपकने से छटपटा रहीं थीं। लेकिन तब भी नई मक्खियाँ शहद के लालच में वहाँ आती रहीं। मरी और छटपटाती मक्खियों को देखकर भी वह शहद खाने का लालच नहीं छोड़ पाई।

मक्खियों की दुर्गति और मूर्खता देखकर दुकानदार बोला – जो लोग जीभ के स्वाद के लालच में पड़ जाते हैं, वह इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं। स्वाद के थोड़ी देर के सुख उठाने के लालच में वह अपने सेहत को खराब कर लेते हैं। रोगी बनकर तड़पते हैं और जल्द ही मर जाते हैं।

कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

मक्खी का लालच कहानी हमें लालच से दूर रहना सिखाती है। हमें थोड़ी देर के सुख के लिए लालची नहीं बनना चाहिए। लालच बुरी बला है।

Makkhi Ka Lalach Story In Hindi 
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