मजदूर के जूते | Majdoor Ke Joote Story In Hindi | Moral Story

मजदूर के जूते

 
मजदूर के जूते | Majdoor Ke Joote Story In Hindi | Moral Story
मजदूर के जूते | Majdoor Ke Joote Story In Hindi | Moral Story
एक बार एक अमीर आदमी अपने बेटे के साथ कहीं जा रहा था। तभी उन्हें रास्ते में एक जोड़ी पुराने जूते दिखे, जो संभवतः पास के खेत में काम कर रहे गरीब मजदूर के थे। मजदूर काम खत्म करके घर लौटने की तैयारी कर रहा था। तभी बेटे ने अमीर पिता से कहा कि पिताजी, क्यों ना इन जूतों को छिपा दें, मजदूर को परेशान देखकर बड़ा मजा आएगा।

आदमी ने गंभीर होकर कहा कि किसी का मजाक उड़ाना सही नहीं है। इसके बजाय क्यों ना हम इन जूतों में कुछ सिक्के डाल दें और देखें कि मजदूर पर क्या प्रभाव पड़ता है। बेटे ने वैसा ही किया और फिर पिता-बेटे छिपकर मजदूर को देखने लगे।

काम खत्म करके आए मजदूर ने जब जूते पहने तो उसे किसी कठोर चीज का आभास हुआ। उसने जूतों को पलटा तो उनमें से सिक्के निकल आए। मजदूर ने इधर-उधर देखा, जब उसे कोई नजर नहीं आया तो उसने सिक्के जेब में डाल लिए और बोला कि हे भगवान, उस अनजान सहायक का धन्यवाद जिसने मुझे यह सिक्के दिए। उसके कारण आज मेरे परिवार को खाना मिल सकेगा।

मजदूर की बातें सुनकर बेटे की आंखें भर आई और वह अपने पिता से बोला कि सच है लेने की अपेक्षा देना कहीं अधिक आनंददायी होता है।

कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

दोस्तों हमें मजदूर के जूते की कहानी से ये सीख मिलती है कि किसी को कोई खुशी देने से बढ़कर और कोई सुख नहीं होता।

 Majdoor Ke Joote Story In Hindi
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