दो घड़े | Do Ghade Story In Hindi | Moral Story

दो घड़े

दो घड़े | Do Ghade Story In Hindi | Moral Story
दो घड़े | Do Ghade Story In Hindi | Moral Story

एक बार एक गाँव में जोरों की बाढ़ आई और लगातार तीन दिनों तक तबाही मचाती रही। तीन दिनों के बाद बाढ़ का जोर कुछ कम हुआ। उस बाढ़ के पानी में कई सारी चीजें बह रही थी। उनमें से एक ताँबे का घड़ा एवं एक मिट्टी का घड़ा भी था। दोनों तैरते हुए एक दूसरे के करीब आ गये। अब ये दोनों घड़े एक दूसरे के अगल-बगल ही तैर रहे थे।

कुछ देर बाद ताँबे के घड़े ने मिट्टी के घड़े से कहा, “सुनो भाई, तुम तो काफी मुलायम और कमजोर मिट्टी के बने हुए हो। तुम्हें किसी के साथ रहना चाहिए ताकि तुम उसकी सहायता से खुद को बचा सको। यदि तुम चाहो, तो मेरे पास आ जाओ। मेरे पास रहने से तुम सुरक्षित रहोगे।”

‘मेरा इतना ख्याल रखने के लिए आपको बहुत – बहुत धन्यवाद,” मिट्टी का घड़ा बोला, ” लेकिन मैं आपके करीब आने की हिम्मत नहीं जुटा सकता। आप बहुत मजबूत और बलशाली है। मैं ठहरा कमजोर और नाजुक ! ऐसे में मैं अपके पास कैसे आ सकता। कहीं हम आपस में टकरा गए, तो मेरे टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। यदि आप सचमुच मेरा ख्याल रखना चाहते हैं, तो कृपया मुझसे थोड़ा दूर ही रहिए।”

इतना कहकर मिट्टी का घड़ा तैरता हुआ ताँबे के घड़े से दूर चला गया।


कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अनजान और ताकतवर लोगों से दूर ही रहना चाहिए।

Do Ghade Story In Hindi
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