ईर्ष्यालु पेड़ | Jealous Tree Story In Hindi | Moral Story

ईर्ष्यालु पेड़

ईर्ष्यालु पेड़ | Jealous Tree Story In Hindi | Moral Story
ईर्ष्यालु पेड़ | Jealous Tree Story In Hindi | Moral Story

एक आदमी एक रास्ते पर पैदल चला जा रहा था। उस रास्ते के बीचों-बीच उसे एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ दिखाई पड़ा। उसने सोचा कि रास्ते के बीच में पड़ा ये हर राहगीर के लिए असुविधाजनक रहेगा। इसलिए उसने उस पत्थर को उठाकर रास्ते के किनारे लगे एक पेड़ के नीचे रख दिया। कुछ देर पेड़ के नीचे आराम करने के बाद वह वहाँ से चला गया।

थोड़ी देर बाद एक चित्रकार उस रास्ते से गुजरा और उस पेड़ के नीचे चित्रकारी करने लगा। चित्र बनाते-बनाते लाल रंग उस पत्थर के ऊपर गिर गया। वह पत्थर सिंदूरी दिखने लगा।

चित्रकार के जाने के बाद एक फूलवाला आया और उस पेड़ के नीचे बैठकर माला बनाने लगा। जब वह जाने के लिए उठा, तो उसकी फूलों की टोकरी में से कुछ फूल सिंदूरी रंग के पत्थर के सामने गिर गए।

उसके बाद जो भी राहगीर उस रास्ते से गुजरता और उस पत्थर को देखता, तो भगवान मानकर उसकी पूजा करने लगता। यह देखकर पेड़ को ईर्ष्या होने लगी। वह सोचने लगा कि अब तक जो लोग मेरी छांव में आराम करने आते थे, वे अब इस पत्थर की पूजा करने आते हैं।

ईष्या में उसने मजबूत टहनियों की मार से उस पत्थर को दूर फेंक दिया। ऐसा करके वह बहुत ख़ुश हुआ कि अब जो भी राहगीर आएगा, उसकी छांव के लिए आएगा।

लेकिन जब राहगीर वहाँ पूजा करने आये और उस पत्थर को वहाँ नहीं पाया, तो कहने लगे कि अवश्य यह स्थान अशुभ है। इसलिए भगवान यहाँ से चले गए। इस स्थान के कारण यह पेड़ भी अशुभ है।

उसी समय वे कुल्हाड़ी लेकर आये और उस पेड़ को काट दिया। पेड़ को उसकी ईर्ष्या का परिमाण मिल चुका था।

कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

ईर्ष्या या जलन एक नकारात्मक भावना है। दूसरों की दौलत, शौहरत, ख़ुशी देख जलने वाले लोग इस भावना को अपने मन में स्थान दे अपना स्वयं का अहित करते हैं, क्योंकि इस नकारात्मक भावना के वशीभूत हो कई बार वे ऐसा कदम उठा लेते हैं, जिसके लिए उन्हें जीवन भर पछताना पड़ता है। ईर्ष्या की भावना को कभी अपने मन में स्थान न दें, यह दूसरों से कहीं ज्यादा आपका ख़ुद का नुकसान करती है। ईर्ष्यालु पेड़ भी किसी से ईर्ष्या न करने की सीख देती है।

Jealous Tree Story In Hindi
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