छोटी तलवार
छोटी तलवार | Small Sword Story In Hindi | Moral Story |
बहुत पहले की बात है। एक गुरु के अखाड़े में अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी जाती थी। वहां दूर-दूर से नौजवान इसकी शिक्षा लेने आते थे। उन में से लक्ष्मण नाम का एक शिष्य गुरु का सबसे प्रिय था, क्योंकि तलवारबाजी में वह सबसे चालाक और फुर्तीला था।
उसने शिक्षा समाप्त करने के बाद तलवारबाजी में बहुत नाम और दाम कमाया। लेकिन उसके मन में एक दुख रहता था कि इतनी शोहरत के बाद भी लोग उसे गुरु के शिष्य के रूप में ही जानते थे। सारा यश उसे नहीं बल्कि उसके गुरु को मिलता था।
उसने सोचा कि अगर वह अपने गुरु को पराजित कर देगा तो लोग उसके गुरु को भूल कर मेरा नाम याद करने लगेंगे। फिर एक दिन उसने अखाड़े में जाकर गुरु से कहा, "गुरुवर, मैंने कुछ ऐसी नई विधाएं सीखी हैं जिसे आप देखेंगे तो अचरज में पड़ जाएंगे। इसलिए मैं आपसे युद्ध करके अपना कौशल आपको दिखाना चाहता हूं।"
उसके गुरु समझ गए कि शिष्य अहंकार में अंधा हो गया है। उन्होंने कहा, "यदि तुम चाहते हो तो ऐसा ही होगा। एक महीने बाद हम तुमसे अखाड़े में युद्ध करेंगे।" कुछ दिनों के बाद जब लक्ष्मण अखाड़े में आया। तब वहां उसे मालूम हुआ कि गुरुजी चार हाथ लंबी म्यान बनवा रहे हैं। यह सुन कर उसने आठ हाथ की लंबी तलवार बनवा ली।
एक महीना बीत गया। तय समय पर गुरु चार हाथ लंबी म्यान लेकर और शिष्य आठ हाथ लंबी म्यान लेकर अखाड़े में आया। दोनों को युद्ध का संकेत मिला। संकेत मिलते ही शिष्य ने जब अपनी लंबी म्यान से लंबी तलवार निकाल कर हमला किया, तो गुरु ने लंबी म्यान से छोटी तलवार निकाल कर फुर्ती से उसके गले पर लगा दी।
गुरु की छोटी तलवार देख कर शिष्य अचंभित रह गया और घबराकर वहीं गिर गया। वह अपने गुरु से पराजित हो चुका था। तब गुरु ने कहा, "तुमने सुनी-सुनाई बातों में आकर लंबी तलवार बनवा ली। लेकिन तुम यह भूल गए कि छोटी तलवार से ही फुर्ती से हमला किया जा सकता है, लंबी तलवार से नहीं।"
कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अहंकार हमारे ज्ञान पर पानी फेर देता है। इसलिए हमें कभी अपने आपमें अहंकार नहीं आने देना चाहिए।
Small Sword Story In Hindi