दो टावर | Two Tower Story In Hindi | Moral Story

दो टावर

दो टावर | Two Tower Story In Hindi | Moral Story
दो टावर | Two Tower Story In Hindi | Moral Story
इटली के एक शहर में एक टावर का निर्माण किया गया। वह टावर इतना ख़ूबसूरत था कि पूरी इटली में उसकी चर्चा होने लगी। दूर-दूर से पर्यटक उसे देखने आने लगे। कुछ माह बाद एक दूसरे शहर में भी बिल्कुल उसी डिज़ाइन का टावर बनाया गया। वह टावर भी अपनी ख़ूबसूरती के कारण पर्यटकों को आकर्षित करने लगा।

चूंकि दोनों टावर एक ही तरह से डिज़ाइन किये गए थे और दिखने में एक जैसे थे, इसलिए दोनों ही पर्यटकों के मध्य समान रूप से लोकप्रिय थे। लेकिन दूसरे शहर के लोगों में पहले शहर के टावर के प्रति ईर्ष्या भरी हुई थी। वे चाहते थे कि उनके शहर का टावर सबसे ख़ूबसूरत और लोकप्रिय रहे। इसलिए उन्होंने पहले टावर को गिरा देने का मन बना लिया। एक रात वे लोग विभिन्न औजारों के साथ पहले शहर में गए और उस टावर के नींव को कुछ स्थानों में खोदकर खोखला कर दिया।

सुबह होने तक वह टावर थोड़ा झुक गया। लेकिन आते-जाते लोगों में से किसी का भी ध्यान उस ओर नहीं गया। कुछ दिनों तक वैसा ही चला। लेकिन एक दिन एक छोटी लड़की ने झुके हुए टावर पर ध्यान दिया और सबको बताया कि वह टावर गिरने वाला है। तब लोगों ने ध्यान से टावर को देखा और पाया कि वह लड़की सही कह रही है।

पूरे शहर में बात फ़ैल गई। उस टावर को सीधा करने का काफ़ी प्रयास किया गया, लेकिन कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पाया। एक दिन वही छोटी लड़की उस टावर के पास से गुजर रही थी। उसने सुस्ताने के लिए अपना एक हाथ टावर के एक तरफ़ टिका दिया। ऐसा करते ही उसे महसूस हुआ कि चरचराहट की आवाज़ के साथ टावर में कंपन हुई। उसने अपना हाथ हटाया, तो पाया कि आवाज़ और कंपन बंद हो गई है। कुछ देर तक वह लड़की वही प्रक्रिया दोहराती रही और इस नतीज़े पर पहुँची कि वह टावर अस्थिर है और उस पर जैसे ही किसी भी वस्तु का स्पर्श होता है, मानो उसे गुदगुदी सी होती है और वह पीछे हट जाती है।

वह तुरंत बाज़ार गई और कुछ पौधे ले आई। उन पौधों को उसने टावर के उस ओर लगा दिया, जिस ओर वह झुका हुआ था। टावर जितना झुका था, उतना तो झुका ही रहा, लेकिन वह जब भी थोड़ा और झुकता, तो पौधों के स्पर्श से वापस अपने स्थान पर आ जाता। इस तरह वह टावर न पूरी तरह से झुका और न ही गिरा।

झुका हुआ होने के कारण वह टावर और लोकप्रिय हो गया। दूसरे शहर के लोगों के अपने टावर को उस तरह झुकाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस कोशिश में वह टावर गिरकर ध्वस्त हो गया। इस तरह उनकी ईर्ष्या ने उनसे उनके शहर का सबसे लोकप्रिय और आकर्षक टावर छीन लिया।

कहानी से शिक्षा (Moral Of The Story)

ईर्ष्या या जलन एक नकारात्मक भावना है। दूसरों की दौलत, शौहरत, ख़ुशी देख जलने वाले लोग इस भावना को अपने मन में स्थान दे अपना स्वयं का अहित करते हैं, क्योंकि इस नकारात्मक भावना के वशीभूत हो कई बार वे ऐसा कदम उठा लेते हैं, जिसके लिए उन्हें जीवन भर पछताना पड़ता है। ईर्ष्या की भावना को कभी अपने मन में स्थान न दें, यह दूसरों से कहीं ज्यादा आपका ख़ुद का नुकसान करती है।

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