एक पुजारी,बकरी और तीन ठग
एक पुजारी, बकरी और तीन ठग | Ek Pujari, Bakri Aur Teen Thug Story in Hindi | Moral Story |
एक बार, एक छोटे से गाँव में एक पवित्र पुजारी रहता था | वह बहुत ही भोला और साधारण जीवन बिताने वाला व्यक्ति था, वह हमेशा ही धार्मिक रिवाजो को अपनाता था | एक अवसर पर, पुजारी को उसकी बुद्धिमता व विद्वान व्यक्ति होने के नाते ईनाम में बकरी मिली. वह पवित्र पुजारी ईनाम में बकरी पाकर बहुत अधिक खुश हुआ. उसने प्रसन्नता से बकरी को उठाकर आराम से अपने कंधे पर रखा और अपने घर के लिए निकल पड़ा |
उस रास्ते में, तीन ठगों ने पुजारी को बकरी ले जाते हुए देखा. वे तीनो ठग बहुत आलसी थे और पुजारी को धोखा देकर उससे बकरी छिनना चाहते थे | वे आपस में बोले ,” यह बकरी हमारे लिए एक बहुत अच्छा भोजन बन सकती है, हमें कुछ भी करके इसे पाना होगा” | वे तीनो बकरी को छिनने के लिए आपस में बातचीत करने लगे और तीनो ने आपस में विचारकर पुजारी को बेवकूफ बनाकर बकरी को छीनने की योजना बनाई |
योजना बनाने के बाद, वे तीनो चोर उस रास्ते में अलग – अलग जगहों में छुप गये. थोड़ी देर बाद, पुजारी एक सुनसान रास्ते की तरफ बढ़ा चला. उन ठगों में से एक ठग उसी समय अपने छुपे हुए स्थान से बाहर निकला और पुजारी से बहुत ही आश्चर्य से पूछा, ” मान्यवर, आप यह क्या कर रहे है ? मुझे समझ नहीं आ रहा है की आप जैसा एक महान विद्वान् एक कुत्ते को अपने कंधे में लेकर क्यों जा रहा है ? पादरी यह सुनकर बहुत आश्चर्यचकित हुआ |
पुजारी गुस्से में बोला, ” क्या तुम नहीं देख रहे ? अरे बेवकूफ ! यह कुत्ता नहीं बल्कि एक बकरी है. वह ठग बोला ,” मुझे माफ़ करना | मैंने जो देखा वही बोल रहा हूँ | अगर आपको इस बात पर विश्वास नहीं होता तो मुझे माफ़ करना | पुजारी ने उसकी बात सुनी और आगे रास्ते की तरफ चल दिया |
पुजारी अपनी दूरी की तरफ धीरे – धीरे बढ़ा जा रहा था, तभी दूसरा ठग अपने छुपे हुए स्थान से बाहर निकला और पुजारी से बोला, ” महाशय, आप इस मरे हुए गाय के बच्चे को अपने कंधे में लेकर क्यों जा रहे हो ? आप तो एक बुद्धिमान व्यक्ति लगते हो, ऐसा तो कोई बेवकूफ करता है | पुजारी उस पर चिल्लाया, ” क्या ? तुम एक जिंदा बकरी को गाय का मरा हुआ बच्चा बोलकर इतनी बड़ी भूल कर रहे हो ?
वह ठग बोला, ” महाशय ! आपको इसे देखने में एक बहुत बड़ी भूल हुई है, आप इसे सही ढंग से पहचानो | यह कोई बकरी नहीं है | मैंने तो आपको वही बताया जो मैंने देखा.. धन्यवाद ! मुस्कराते हुए वह ठग भी वहां से चला गया | वह पुजारी कुछ समझ नहीं पा रहा था फिर भी वह अपने गंतव्य की ओर बढ़ा चला |
पुजारी अभी थोड़ा आगे ही निकला था की उसे तीसरा ठग भी मिल गया | तीसरा ठग जोर से हँसते हुए पुजारी से बोला, ” महाशय ! आप एक गधे को अपने कंधे में लेकर क्यों जा रहे हो ? ऐसा करके आप उपहास के पात्र बन रहे हो | तीसरे ठग की यह बात सुनकर वह पुजारी सचमुच बहुत चिंतित हुआ | वह सोचने लगा ! शायद यह सच में बकरी नहीं है बल्कि एक भूत है |
वह सोचने लगा की जिस जानवर को वह अपने कंधे में लेकर जा रहा है वह कोई भूत है जो बार – बार अपना रूप बदल रहा है | यह पहले बकरी था उसके बाद यह कुत्ता बना, फिर कुत्ता बनने के बाद गाय का मरा हुआ बच्चा बना और फिर गधा बना गया | वह बहुत ही भयभीत हो गया और उसने अपने कंधे में से बकरी को उठाकर उस रास्ते में किनारे की तरफ फेंक दिया और वहां से तेजी से भाग गया |
वह तीनो ठग उस मुर्ख पुजारी पर जोर – जोर से हँसने लगे | उन्होंने बकरी को पकड़ा और बहुत ही ख़ुशी से उसकी दावत उड़ाई |
दोस्तों ! यह कहानी हमें सीख देती है की कभी भी किसी की बातों में ना आये, दूसरा व्यक्ति आपको बेवकूफ बनाकर इसका फायदा उठा सकता है. इस कहानी में बुद्धिमान पुजारी को तीन ठगों ने अपनी चतुराई से मुर्ख बना दिया | अगर पुजारी खुद पर विश्वास रखता और ठगों की बातों में न आता तो वह बकरी से हाथ न धोता | दुसरे लोग हमेशा ही आपका फायदा उठाने की सोचते है | कभी भी किसी बातों में आकर कोई कदम न उठाये बल्कि अपने विवेक और बुद्धि से फैसला लेना ही उचित है |